Attitude Shayari
गुलाम हु मेरे घर का, वरना मे भी उन लोगो को ओकात दिखाने का हुनर रखता हु।
उन जगह पर खामोशी से रहना, जहाँ लोग अपनी ओकात से ज्यादा अपना गुण गाते है।
मुझे बुराही से कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि बुरा तों लोग ऊपर वाले को भी कहते है।।
दोस्त attitude क्या होता है, समझ ना है तो मेरे करीब आ जाओ।
जीने आये है तों अपने मिजाज़ से जियेंगे। किसी के ऊगली पर नाचेंगे नहीं।।
हम अपनी जिंदगी अपनी मन से जी रहे है और हम किसी से डरते नहीं।।
ये बात तो खेल की है जनाब क्योंकि, खेल भी हम खेलते है खेल भी हम खिलाते है।
जमाना बोहत ही ख़राब है दोस्त इस दुनिया मे कोई किसी का नहीं होता।।
पगली हम जिंदगी ऐसे जियेंगे।जमाना हम भी हमको सलाम करेगा।।
खानदानी घमंड है कोई शो ऑफ नहीं। भगवान के अलावा किसी का डर नहीं।।
बिता हुआ समय साथ दे या ना दे। लेकिन आने वाला समय जरूर साथ देगा।।
हम पैदा हिस बिगड़े हुए है। हम को कया बिगाड़े जमाना।।
बेटा जितना भी ऊपर उड़ना है उड़ो। लेकि आपके बाप ये बात कभी मत भूलो।।
हम किसी के मुँह पर बोल देते है, इसीलिए हमारा रिस्ता बोहत कम हो गया है।
नाम और पहचान भले ही छोटी हो, लेकिन अपने दम पर।
तेरा घमंड जरूर टूटेगा, वक्त ही बताएगा।।
आजकल लोग बोहत ही छोटे सोच वाले लोग, बड़ी बड़ी बाते कर लेते है।।
मुरझाये हुए बगीचे को वापिस खिला देंगे, जहाँ भी जाये वहां पूरा सिस्टम ही हिला डालेंगे।।
वक़्त का इंतजार करो जनाब, आपसे ज्यादा शानदार नजारा दिखाएंगे।।
अपनी जिंदगी का एक ही नियम रखो, जो आपसे जलता हो उसे और जलाओ।।
आज ब्लॉक किया है कल सर्च करेगी, तरक्की इतनी करेंगे की मरे फोटो लेने के लाइन मे ख़डी होगी।।
माना की हम मैदान मे कभी कभी उतर ते है हम लेकिन अपने लेवल का खेल खेलते है। अगर हम अच्छे नहीं लगे तों छोड़ दीजिये रोज रोज ये drama सेहन नहीं कर सकते हम।।
जनाब दाना डालकर कबूतर पकडे जाते है बाज नहीं।
कुश कर्म बुरे करने पड़ते है जनाब, तब दुनिया अच्छे से समझ सकती है जनाब।।
अब मुझे इस दुनिया मे खोने दे। जो होता है वो जिंदगी मे होने दे।।
अपनी दम पर पहचान बनाऊगा। वक़्त निकल ने दे तेरी ओकात बताऊंगा।।
इतनी ओकात से मुझसे बात मत कर। क्योंकि बाप हु तेरा इतनी अकड़ मुझे मत दिखा कर।।
जलने लगा है सारा जमाना। क्योंकि चलने लगा है, हमारा नाम।।
हमने ज़ब से जमाने से जवाब देना सिख लिया है। जब से लोग ओकात मे रहने लगे है।।
चलो थोड़ा मुस्करा या जाये। लोगो को बिना माचिस की तीली से जलाया जाये।।
राज तों हमारे हर जगह चलता है। जो पचंद करते है उसके दिल मे और नापचंद करते है उसके दिमाग मे।।
नमक स्वाद के अनुसार लेना चाहिए। अकड़ अपनी ओकात के अनुसार करनी चाहिए।।
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